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शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन देवी के ब्रह्मचारिणी रूप के दर्शन-पूजन का विधान है। इनका दर्शन दो अक्तूबर को होगा। द्वितीया तिथि की बढ़ोतरी से तीन अक्तूबर को भी इन्हीं देवी का दर्शन है।
काशी में देवी बह्मचारिणी का मंदिर दुर्गाघाट क्षेत्र में स्थित है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली। ब्रह्म शब्द का तात्पर्य तपस्या है।
भवानी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य है। इनके दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है। भगवती दुर्गा के दिव्य दर्शन और आरोग्यता के लिए साधक, देवी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की आराधना करते हैं।
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