इस ब्लॉग के माध्यम से आप आज जानेगे की नारायण बलि क्यों कराया जाता है?
कैसी मृत्यु होने पर नारायण बलि अति आवश्यक हो जाती है
आप लोग जानेंगे की नारायण बलि क्यों कराया जाता है और उसका प्रक्रिया क्या है ?
कब करना चाहिए?
मृत्यु होने के कितने दिन बाद नारायण बलि करना चाहिए ?
नारायण बलि अगर कोई भी मृतक जिस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है ,
जैसे मान लीजिये
कुछ लोक बिजली लग से मर जाते है,
कुछ लोक एक्सीडेंट में मर जाते है,
कुछ लोग छत से या कहीं और से खुद किया कि करके मर जाते हैं,
कुछ लोग आग लगने से मर जाते हैं,
कुछ लोग आग लगाकर मर जाते हैं,
कुछ लोग नशीला पदार्थ खाकर के मजा तो अकाल मृत्यु होती है,
मतलब आपका अभी उम्र नहीं हुआ मरनेका अभी आपका समय पूरा नहीं हुआ लेकिन कोई ऐसा घटना घटित हो गया उसमे मृत्यु हो गयी .
उसका नारायण बलि कर आना अति आवश्यक जरूरी होता है
उसके घर वालों को उसके परिवार वालों को उसके पुत्र, पौत्राधी को नारायण बलि अवश्य कराना चाहिए
और आप नहीं कराते हैं उससे क्या आपको सजा भुगतना पड़ता है क्या आपको दोष लगता है
नारायण बलि कोण कर सकता है ?
जो मृतक व्यक्ति है उसका पुत्र कर सकता है उसका पौत्र कर सकता है
नारायण बलि कभी भी मान नहीं करते हैं जैसे मन लीजिये बेटी हो गई ,दमाद हो गए, बुआ हो गई, यह लोग कभी नारायण बलि आपके लिए नहीं कर सकते
जो अपने घर के अपने कुल के अपने जो परिवार के पुत्र, पौत्र आदि होते हैं भाई होते हैं सगे संबंधित होते हुए अगर किसी का पूरे संसार में कोई नहीं है
जो आसपास में सामंतवाद है वह लोग उसको करा सकते हैं अगर नहीं कराते हैं तो
परिवार में अजीबोगरीब घटनाएं होने लगते हैंइसलिए जब तक नारायण बलि नहीं होता है आत्मा को प्रेत योनि प्राप्त होती है
प्रेत को कुछ लोग भुतप्रेत भी बोलते है
तो पहले भी जिसकी अकाल मृत्यु हुई है
जब उनका उम्र होता है 17 साल 18 साल छोटी भी तो आपको ही नहीं पहुंचाएंगे लेकिन जब बड़े हो जाएंगे तो अपना गलत प्रभाव जिस परिवार के रहेंगे उसमे और
आसपास के पड़ोसियों को उसका प्रभाव आएगा जैसे उनके घर में अचानक घटनाएं घट जाती है
और कई सारे ऐसी घटना कुछ वक्त लोग बताते हैं वे आंखों देखी बातें बताते हैं
यह शास्त्रों शास्त्रों में माना गया है
वेद भी मानता है, गरुड़ पुराण में भी है इसका जिक्र है.
सुख सागर जो भागवत है उसमें भी इसका जिक्र और भी कई ग्रंथों में इसका ज़िकर किया गया है
इसलिए प्रेत योनि से बचने के लिए नारायण बलि किया जाता है | त्रिपिंडी श्राद्ध करते है और इसका करना अतिआवश्यक होता है जब कही लोग प्रेतात्मा में आजाते है उनका एक ग्रुप बन जाता है. ग्रुप के साथ अपने परिवार में अपने परिवार के सदस्यों के साथ
अजीबोगरीब घटनाएं घटित करने लगते हैं उनको परेशान करने लगते हैं उनको बाधा उत्पन्न करते है अनेक प्रकार के समस्याओंका सामना करना पड़ता है
और ये सब सिर्फ नारायण बलि न करने से होते है
तो आप लोक अगर इस प्रकार से किसी की मृत्यु हुई है तो नारायण बलि पूजा अवश्य कराये
और दूसरा आप लोग जब भी अमस्या आता है पित्र पक्ष आता है उसमें जो है गरीबों को पितरो के नाम से कुछ न कुछ दान अवश्य करें जिससे कि आपके पित्र भी आपके ऊपर कृपा दृष्टी बनाये रखे और आप लोग तरक्की करें जिससे आपके परिवार के पितृदोष से मुक्ति प्राप्त हो.
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